बतादे ए बारीश.. क्यूं खफा है तू मुझसे.. - सह्य-भ्रमंती

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Saturday, June 2, 2018

बतादे ए बारीश.. क्यूं खफा है तू मुझसे..

   
बतादे ए बारीश..
क्यूं खफा है तू मुझसे..

चला हुँ अपनी राह पर,
छोड कर दुनियाको पीछे,
आसमां को उपर रखकर,
और धरती को नीचे..
ये सब छोड कर आया हुँ ..
सिर्फ और सिर्फ मिलने तुझसे,
बतादे ए बारीश..
क्यूं खफा है तू मुझसे..

मिलेंगे कितने हमसफर यहा,
कितने छोड जायेंगे,
कोन अपना कोन पराया,
अनुभव देकर जायेंगे..
उसकी पर्वा छोड कर आया हुँ..
सिर्फ और सिर्फ मिलने तुझसे,
बतादे ए बारीश..
क्यूं खफा है तू मुझसे..

झिंदगीने गमोंकी बौछार करदी,
झिंदगीने सुखोंकी फुहार करदी,
सुखोंको खुदपे लपेटकर,
गमोंको खुदमे समेटकर,
सुख-दुख सारे छोड आया हुँ..
सिर्फ और सिर्फ मिलने तुझसे,
बतादे ए बारीश..
क्यूं खफा है तू मुझसे..

बतादे ए बारीश..
क्यूं खफा है तू मुझसे..

शब्द: उत्कर्ष एरंडकर





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