ट्रेकिंगवीर व्हाया क्रांतीवीर - सह्य-भ्रमंती

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Thursday, August 29, 2013

ट्रेकिंगवीर व्हाया क्रांतीवीर

आ गये मेरी फेसबुकका स्टेटस पढने.. अब मेरा लिखा हुआ स्टेटस पढेंगे.. मेरे मन की बाते बाहर आयेंगी.. थोडी देर मेरे विचार प्रकट होंगे.. फीर ये मेरे दोस्त मेरी पोस्ट लाईक करेंगे.. फीर आप सब कमेंट करके निकल जाओगे, खाना खाओगे और सो जाओगे..

तुम्हारी येही नादानी, कडवाहट एक दिन इस ट्रेकिंग फिल्ड का तमाशा खामोशीसे देखेगी.. कुछ नही केहना मुझे तुम्हे.. इगो करते रेहने की आदत पडी है तुमको, गॉस्सीप करने की आदत पडी है.. पेहले अपनेसे अच्छे ट्रेकर्सकी गॉस्सीप की, फीर अपने ग्रुपके ट्रेकर्सकी और अब चंद नये उभरते ट्रेकर्स और ट्रेकिंग कंपनीयोंकी.. एन.जी.ओ. और कमर्शिअल के नाम पर वो तुम्हे बेहाकातें हे और तुम एक दुसरे के खिलाफ बाते करते हो.. करो.. करो..

उपरवाला भी उपरसे देखता होगा तो उसे भी शर्म आती होगी.. सोचता होगा, मैने सबसे खुबसुरत चीज बनाई थी, ट्रेकर्स.. ट्रेकर्स.. नीचे देखा तो सब सेल्फिश बन गये.. सोचो.. खुदके बारे मे ही सोचो और मरो.. आये और गये.. खेल खतम.. क्यू जिये मालूम नही.. क्यू मरे मालूम नही..

‘एम.एस.ए.’वाला भाई क्रांती लाना चाहता था.. युनिटी के झोर पे काले वर्तमान को खतम करना चाहता था.. कोन समझा उसकी बात को? सब साले मुर्दे.. जिंदा लाशें.. किसे जगाता वो.. मै जाग गया.. कुछ अच्छा लिखके जा रहा हुं.. करके जा रहा हुं.. सुकून है.. लेकीन ध्यानमे रखना, तुम्हारी ये नादानी कल तुम्हारे ग्रुपके लिये रोना बन जायेगी..

ये ‘कानून’वाले, ‘वर्दी’वाले, ‘नेता’.. जीन्होने अपना इमान बेच दिया.. एक दुसरे को कोंसते वक्त तुम्हारा इमान कहा गया था.. ‘जॉब’पे??

एक लोमडी जैसे हमारे ये कानूनवाले.. आने वाले कल मे शायद अपने आप को ट्रेकिंगके नक्शे पर देख नही पायेंगे, वो एक बात भूल रहे है.. के उनके बच्चे जीन ग्रुपसे ट्रेकिंग करते है, वो ग्रुपभी हम लोगोंमेसे किसी एक का होता है.. साले अपने बच्चोंको रियल एडव्हेंचर नही दे सकते और हमारी फिल्डको तोडना चाहते है.. लेकीन वो ये सपना देख सकते है, क्युंकी उन्हे मालूम है के ये सेल्फिश ट्रेकर्सका फिल्ड है.. फिल्डके लिये, ट्रेकिंग इंडस्ट्रीके लिये किसी को कोई हमदर्दी नही..  मै ऑफबीट.. मै सोलो.. मै क्लाइम्बर.. मै फलाना, मै ढीमका.. एक लाठी को कोई भी तोड सकता है, लाठीके भारेको नही.. मैने बचपनमे पढा था.. स्कूल मे.. तिसरी मे.. क्युं समझा रहा हु मै तुमको?.. हां?.. क्युं समझा रहा हु? पागल हुं? भुसा भरा पडा है मेरे दिमाग मे? क्युं बाते कर रहा हुं इन पत्थरोंसे.. हंसो.. खुशियां मनाओ.. युनिटीकी राह पर एक ओर पगले की तरह बडबडा रहा है.. कल कोई ओर बडबडाएगा.. हमे क्या? हम तो ऐसेही जीतें रहेंगे.. है ना??

जियो भाई जियो.. जैसे चाहिये वैसे जियो.. मै ऐसी सेल्फिश जिंदगी जिना नही चाहता.. ऐ ला चल चल..

5 comments:

  1. baap re!! :D
    kay khatarnaak lihila ahe
    Photoshop pan bhaari aahe :P

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  2. मित्रा काय रे हे … किती हा त्रागा … किती चिडला आहेस … नाना पाटेकर पण एवढा वैतागला नसेल … शांत मित्रा शांत … पण जे काही लिहिला आहेस ते खर आहे आणि मस्त पद्धतीने मांडला आहेस … hats of to you ...

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  3. utkarsh chill aapan jauya trekk la,,Torna te raajgad bas,parat ekda

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  4. Ek tu chutishi chuk keli ti mahnje, tu yar dolyavarcha cheshma kadayla pahije hota. Mag KRANTIVEER-2 part zhala asta.

    Regards
    Santosh

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